अगर हम ये कहें कि व्यक्ति जिंदा है तो सिर्फ पाचन प्रणाली की वजह से तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी, लेकिन अगर यही पाचन प्रणाली खराब हो जाए यानि इसमें कैंसर हो जाए तो क्या होगा…? कैंसर चाहे कोई भी हो कैंसर का हर प्रकार ही घातक होता है, एक बार जिसे कैंसर हो जाए वो पीड़ित व्यक्ति जीने की आस छोड़ देता है। कोलन कैंसर भी इन्ही कैंसरों में से एक है जिसका नाम ही लोगों के भीतर मौत का ख़ौफ़ फैलाने के लिए काफी है।
कोलन कैंसर क्या है? (colon cancer meaning)
कोलन को कोलोरेक्टल या बाउल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। ये कोलन, रेक्टम और अपेंडिक्स के भागों में कैंसर कोशिकाओं का विकास करता है। कोलन कैंसर पुरुष और महिला दोनों को हो सकता है। आमतौर पर ये बीमारी 40 से ऊपर वाले लोगों को ज्यादा होती है। डॉक्टर्स का कहना है कि अगर कोलन कैंसर के बारे में आखिरी स्टेज में पता लगता है तो पीड़ित व्यक्ति का बचना मुश्किल हो जाता है।


कोलन कैंसर के कारण (what causes colon cancer)
ओलोन कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जो कई कारणों से होती है जैसे-
1.वृद्धावस्था
बढ़ती उम्र यानी वृद्धावस्था में ज्यादा मांस मछली खाना या अधिक तेल मसाला खाने से कोलन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
2.अनुवांशिकता
कोलोरेक्टल कैंसर का पारिवारिक इतिहास भी कैंसर का खतरा पैदा करता है अगर आपके परिवार में पहले कोई कोलन कैंसर का शिकार हो चुका है तो आपको भी ये बीमारी आसानी से लग सकती है
3.धूम्रपान और शराब का सेवन
मधुमेह, धूम्रपान और शराब का सेवन करने से भी कोलन कैंसर होने का खतरा रहता है, क्योंकि इन पदार्थों में ज़हरीले तत्व पाए जाते हैं जो कोलन को नुकसान पहुंचाते हैं।
कोलन कैंसर के लक्षण (colon cancer symptoms)
जिस भी व्यक्ति को कोलन कैंसर होता है उसे लगातार आंत से जुड़ी परेशानियां होती रहती हैं (early symptoms of colon cancer) कोलन कैंसर के शिकार व्यक्ति को कभी- कभी दस्त जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसके अलावा (stage 1 colon cancer symptoms) मल भी अलग-अलग तरह का होता है। इतना ही नहीं कोलन कैंसर को आप और भी कई लक्षणों से पहचान सकते हैं जैसे-
1.जो भी व्यक्ति कोलन कैंसर से पीड़ित होता है उसे मल त्यागते समय काफी ब्लीडिंग होती है। यह बिल्डिंग मल के साथ ही बाहर आता है, इसके अलावा मल त्यागने के बाद भी पीड़ित व्यक्ति को लगता है कि उसका पेट साफ नहीं हुआ है जिसके कारण उसे भूख लगना भी बंद हो जाता है।
2.कोलन कैंसर मैं ज्यादातर मरीजों को पेट से संबंधित परेशानी ही होती है जैसे पेट में मरोड़े उठना, अपच, खट्टी डकार आना, कब्ज रहना, पेट साफ ना होना, हमेशा असहज महसूस करना आदि सभी कोलन कैंसर के लक्षण हैं।
3. कोलन और बाउअल कैंसर की परेशानी में हर समय व्यक्ति को थकान महसूस होती है। भूख नहीं लगती है अचानक से शरीर का वजन गिरने लगता है।


कोलन कैंसर का इलाज (colon cancer treatment)
कोलोरेक्टल कैंसर का उपचार कैसे करना है यह कोलन कैंसर के स्टेज पर निर्भर करता है वैसे तो इस बीमारी से बचने का तरीका सर्जरी और कीमोथेरेपी जैसे खतरनाक इलाज ही हैं।
1.सर्जरी
कोलोरेक्टल कैंसर के शुरुआत में सर्जरी के जरिए कैंसर की कोशिकाओं को बाहर निकाला जाता है लेकिन इस दौरान कैंसर का पॉलिप आंत की सतह पर नहीं होना चाहिए तभी यह सर्जरी सफल हो सकती है। अगर कैंसर अंदर फैल गया है तो ऐसे में सर्जन को बृहदान्त्र या मलाशय के एक हिस्से के साथ उसके आसपास मौजूद लिम्फ नोड्स को भी निकलना पड़ता है।
2.कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी को कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने का एक अच्छा इलाज माना जाता है। ये थेरेपी कोलोरेक्टल कैंसर के मामले में भी काफी फायदेमंद है। कीमोथेरेपी कैंसर को बढ़ने से रोकती है और कैंसर के अंतिम चरण में थी व्यक्ति को मौत से बचा सकती है।
3.रेडिएशन
रेडिएशन थेरेपी के जरिए सबसे पहले कैंसर की कोशिकाओं को पहचाना जाता है। और एक्स रे करके ये देखा जाता है कि कैंसर की कोशिका कितनी शक्तिशाली है। रेडिएशन हमेशा कीमोथैरेपी के साथ होने वाला उपचार है।
अगर आपको कोलन कैंसर के बारे में या किसी और बीमारी से जुड़ी कोई जानकारी चाहिए तो आप हमारे डॉक्टर और विशेषज्ञों से भी संपर्क कर सकते हैं।